मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अंत काल को भवसागर में उसका बेडा पार हुआ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र
अर्थ- हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमददेवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
वो मेरा है तारण हारा, Shiv chaisa उस से मेरा जग उजारा।